श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की  प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना सर्वे भवन्तु सुखिनः। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – आलेख  # 233 ☆ सर्वे भवन्तु सुखिनः

लोगों के मेलजोल का पर्व महाकुम्भ है, अथक परिश्रम, लंबा जाम, कई किलोमीटर की पैदल यात्रा के वावजूद लोग सपरिवार आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज आ रहे हैं। धैर्य के साथ जब कोई कार्य किया जाएगा तो उसके परिणाम सुखद होंगे। भारत के कोने- कोने से आते हुए लोग एकदूसरे को समझने का भाव रखते हैं। वास्तव में भारत की यही सच्ची तस्वीर है। यही कल्पना हमारे ऋषिमुनियों ने की थी जिसे योगी सरकार ने साकार कर दिया है।

माना कि कुछ असुविधा हो रही है किंतु जब नियत अच्छी हो तो ये सब स्वीकार्य है।

हमारे आचरण का निर्धारण कर्मों के द्वारा होता है। यदि उपयोगी कार्यशैली है तो हमेशा ही सबके चहेते बनकर लोकप्रिय बनें रहेंगे। रिश्तों में जब लाभ -हानि की घुसपैठ हो जाती है तो कटुता घर कर लेती है। अपने आप को सहज बना कर रखें जिससे लोगों को असुविधा न हो और जीवन मूल्य सुरक्षित रह सकें।

कोई भी कार्य करो सामने दो विकल्प रहते हैं जो सही है वो किया जाय या जिस पर सर्व सहमति हो वो किया जाए। अधिकांश लोग सबके साथ जाने में ही भलाई समझते हैं क्योंकि इससे हार का खतरा नहीं रहता साथ ही कम परिश्रम में अधिक उपलब्धि भी मिल जाती है।

सब कुछ मिल जायेगा पर कुछ नया सीखने व करने को नहीं मिलेगा यदि पूरी हिम्मत के साथ सच को स्वीकार करने की क्षमता आप में नहीं है तो आपकी जीत सुनिश्चित नहीं हो सकती।

शिखर तक पहुँचने का रास्ता आसान नहीं होता किन्तु इतना कठिन भी नहीं होता कि आप के दृढ़संकल्प से जीत सके। तो बस जो सही है वही करें उचित मार्गदर्शन लेकर, पूर्ण योजना के साथ।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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