सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(संस्कारधानी जबलपुर की सुप्रसिद्ध साहित्यकार सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ ‘जी सेवा निवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, डिविजनल विजिलेंस कमेटी जबलपुर की पूर्व चेअर पर्सन हैं। आपकी प्रकाशित पुस्तकों में पंचतंत्र में नारी, पंख पसारे पंछी, निहिरा (गीत संग्रह) एहसास के मोती, ख़याल -ए-मीना (ग़ज़ल संग्रह), मीना के सवैया (सवैया संग्रह) नैनिका (कुण्डलिया संग्रह) हैं। आप कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित हैं। आप प्रत्येक शुक्रवार सुश्री मीना भट्ट सिद्धार्थ जी की अप्रतिम रचनाओं को उनके साप्ताहिक स्तम्भ – रचना संसार के अंतर्गत आत्मसात कर सकेंगे। आज इस कड़ी में प्रस्तुत है आपकी एक अप्रतिम गीत – है प्रेमिल मधुमास सखी री

? रचना संसार # 41 – गीत – है प्रेमिल मधुमास सखी री…  ☆ सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’ ? ?

चंचल मन आह्लादित होता,

है प्रेमिल मधुमास सखी री।

बहे पवन शीतल पावन भी,

कुसुमित फूल पलास सखी री।।

 *

ऋतु बसंत मदमाती आयी,

नव पल्लव पेड़ो पर छाए।

झूम रहे भौरे मतवाले,

अल्हड़ अमराई मुस्काए।।

पीली चूनर ओढ़े धरती,

हिय में रख उल्लास सखी री।

चंचल मन आल्हादित होता,

है प्रेमिल मधुमास सखी री।।

 *

उन्मादित नभ धरती आकुल,

यौवन का मौसम रसवंती।

महुआ पुष्पित गदराया है,

सरसों का रँग हुआ बसंती।।

नाच रही है कंचन काया,

हिय अनंग का वास सखी री।

चंचल मन आल्हादित होता,

है प्रेमिल मधुमास सखी री।।

 *

हुआ सुवासित तन गोरी का

अंग अंग लेता अँगड़ाई।

हृदय कुंज में मधुऋतु आयी,

भली लगे प्रिय की परछाई।।

मधुर यामिनी देख मिलन की ,

सभी सुखद आभास सखी री।

चंचल मन आल्हादित होता,

है प्रेमिल मधुमास सखी री।।

© सुश्री मीना भट्ट ‘सिद्धार्थ’

(सेवा निवृत्त जिला न्यायाधीश)

संपर्क –1308 कृष्णा हाइट्स, ग्वारीघाट रोड़, जबलपुर (म:प्र:) पिन – 482008 मो नं – 9424669722, वाट्सएप – 7974160268

ई मेल नं- [email protected], [email protected]

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकश पाण्डेय ≈

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