श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 150 ☆
☆ मुक्तक – ।। नारी, तुम केंद्र, तुम धुरी, सृष्टि की रचनाकार हो ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष ☆
=1=
तुम केंद्र तुम धुरी तुम सृष्टि की रचनाकार हो।
तुम धरती पर मूरत प्रभु की साकार हो।।
तुम जगत जननी हो तुम संसार रचयिता।
माँ बहन पत्नी जीवन में हर प्रकार हो।।
=2=
तुम से ही ममता स्नेह प्रेम जीवित रहता है।
मन सच्चा कभी कपट कुछ नहीं कहता है।।
त्याग समर्पण का जीवंत स्वरूप हो तुम।
तन मन में नारी तेरे प्यार का दरिया बहता है।।
=3=
तुम से ही घर आँगन और चारदीवारी है।
हरी भरी जीवन की हर फुलवारी है।।
तुमसे ही आरोहित संस्कार संस्कृति सृष्टि में।
तुमसे ही उत्पन्न होती बच्चों की किलकारी है।।
=4=
तुमसे ही बनती हर मुस्कान खूबसूरत है।
दया श्रद्धा की बसती साक्षात मूरत है।।
तुझसे से ही है मानवता का आदि और अंत।
चलाने को संसार प्रभु को भी तेरी जरूरत है।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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