श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “आशीष साहित्य”में उनकी पुस्तक पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय। इस कड़ी में आज प्रस्तुत है एक महत्वपूर्ण एवं शिक्षाप्रद आलेख “दस महाविद्याएँ ”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य # 40 ☆
☆ दस महाविद्याएँ ☆
पहली महाविद्या देवी ‘काली‘ है जिसका अर्थ ‘समय’ या ‘काल’ या ‘परिवर्तन की शक्ति’ है वह निष्क्रिय गतिशीलता, विकास की संभावित ऊर्जा, ब्रह्मांड में महत्वपूर्ण या प्राणिक शक्ति अर्थात समय की गति ही काली है । ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से पूर्व सर्वत्र अंधकार ही अंधकार से उत्पन्न शक्ति! अंधकार से जन्मा होने के कारण देवी काले वर्ण वाली तथा तामसी गुण सम्पन्न हैं । देवी, प्राण-शक्ति स्वरूप में शिव रूपी शव के ऊपर आरूढ़ हैं, जिसके कारण जीवित देह शक्ति सम्पन्न या प्राण युक्त हैं । देवी अपने भक्तों के विकार शून्य हृदय (जिसमें समस्त विकारों का दाह होता हैं) में निवास करती हैं, जिसका दार्शनिक अभिप्राय श्मशान से भी हैं । देवी श्मशान भूमि (जहाँ शव दाह होता हैं) वासी हैं । मुखतः देवी अपने दो स्वरूपों में विख्यात हैं, ‘दक्षिणा काली’ जो चार भुजाओं से युक्त हैं तथा ‘महा-काली’ के रूप में देवी की 20 भुजायें हैं । स्कन्द (कार्तिक) पुराण, के अनुसार ‘देवी आद्या शक्ति काली’ की उत्पत्ति आश्विन मास की कृष्णा चतुर्दशी तिथि मध्य रात्रि के घोर में अंधकार से हुई थी । परिणामस्वरूप अगले दिन कार्तिक अमावस्या को उनकी पूजा-आराधना तीनों लोकों में की जाती है, यह पर्व दीपावली या दीवाली नाम से विख्यात हैं तथा समस्त हिन्दू समाजों द्वारा मनाई जाती हैं । शक्ति तथा शैव समुदाय का अनुसरण करने वाले इस दिन देवी काली की पूजा करते हैं तथा वैष्णव समुदाय महा लक्ष्मी जी की, वास्तव में महा काली तथा महा लक्ष्मी दोनों एक ही हैं । भगवान विष्णु के अन्तः कारण की शक्ति या संहारक शक्ति ‘मायामय या आदि शक्ति’ ही हैं, महालक्ष्मी रूप में देवी उनकी पत्नी हैं तथा धन-सुख-वैभव की अधिष्ठात्री देवी हैं । दस महा-विद्याओं में देवी काली, उग्र तथा सौम्य रूप में विद्यमान हैं, देवी काली अपने अनेक अन्य नामों से प्रसिद्ध हैं, जो भिन्न-भिन्न स्वरूप तथा गुणों वाली हैं ।
देवी काली मुख्यतः आठ नामों से जानी जाती हैं और ‘अष्ट काली’, समूह का निर्माण करती हैं ।
- चिंता मणि काली
- स्पर्श मणि काली
- संतति प्रदा काली
- सिद्धि काली
- दक्षिणा काली
- कार्य कला काली
- हंस काली
- गुह्य काली
© आशीष कुमार