श्री एस के कपूर “श्री हंस”
☆ “श्री हंस” साहित्य # 155 ☆
☆ मुक्तक – ।। यही सच कि सत्य का कोई जवाब नहीं है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
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=1=
यही सच कि सत्य का कोई जवाब नहीं है।
एक सच ही जिसके चेहरे पर नकाब नहीं है।।
सच सा नायाब कोई और नहीं है दूसरा।
इक सच ही तो झूठा और खराब नहीं है।।
=2=
सच मौन हो तो भी सुनाई देता है।
सात परदों के पीछे से भी दिखाई देता है।।
फूस में चिंगारी सा छुप कर आता है बाहर।
सच ही हर मसले की सही सुनवाई देता है।।
=3=
चरित्र के बिना ज्ञान एक झूठी सी ही बात है।
त्याग बिन पूजन तो जैसे दिन में रात है।।
सिद्धांतों बिन राजनीति भी विवेकशील होती नहीं।
मानवता बिन विज्ञान भी गलत सौगात है।।
=4=
सत्य स्पष्ट सरल इसमें नहीं कोई दाँव होता है।
जैसे धूप में लगती शीतल सी छाँव होता है।।
गहन अंधकार को भी सच का सूरज है चीर देता।
सच के सामने नहीं टिकता झूठ का पाँव नहीं होताहै।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
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