श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है महावीर जयंती  पर आपकी एक  कविता “जैन धर्म में है बसा…” । आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 171 – महावीर जयंती विशेष – जैन धर्म में है बसा… ☆

जैन धर्म में है बसा, जीवों का कल्यान।

भारत ने सबको दिया, जीने का वरदान।।

 *

राम कृष्ण गौतम हुए, महावीर की भूमि।

योग धर्म अध्यात्म से, कौन रहा अनजान।।

 *

धर्मों की  गंगोत्री, का है  भारत केन्द्र।

जैन बौद्ध ईसाई सँग, मुस्लिम सिक्ख सुजान।

 *

ज्ञान और विज्ञान का, भरा यहाँ भंडार।

सबको संरक्षण मिला, हिन्दुस्तान महान।। 

 *

चैत्र शुक्ल त्रयोदशी को, जन्मे कुंडल ग्राम।

वैशाली के निकट ही, मिला हमें वरदान।।

 *

राज पाट को छोड़कर, वानप्रस्थ की ओर।

सत्य धर्म की खोज कर,किया जगत कल्यान।।

 *

सन्यासी का वेषधर, निकल चले अविराम।

छोड़ पिता सिद्धार्थ को, कष्टों का विषपान।। 

 *

प्राणी-हिंसा देख कर, हुआ बड़ा संताप।

मांसाहारी छोड़ने, शुरू किया अभियान।।

 *

अहिंसा परमोधर्म का, गुँजा दिया जयघोष।

जीव चराचर अचर का, लिया नेक संज्ञान।।

 *

मूलमंत्र सबको दिया , पंचशील सिद्धांत।

दया धर्म का मूल है, यही धर्म की जान।

 *

हिंसा का परित्याग कर, अहिंसा अंगीकार।

प्रेम दया सद्भाव को, मिले सदा सम्मान।।

 *

चौबीसवें  तीर्थंकर, माँ त्रिशला के पुत्र।

महावीर स्वामी बने, पूजनीय भगवान।।

 *

वर्धमान महावीर जी, बारम्बार प्रणाम ।

त्याग तपस्या से दिया, सबको जीवन दान।।

©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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