डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे – आतंक।)
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साथ चले जो मार्ग में, उन पर किया प्रहार।
मानवता के वेश में, राक्षस छिपे हजार।।
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पहलगाम की घाटियाँ, क्यों मरते निर्दोष।
उत्तर उनसे पूछ लो, उनका क्या था दोष।।
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शाहिद के आँसू बहे, क्या था उनका गुनाह।
नहीं तिरंगा अब झुके, सैनिक आए राह।।
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घाटी पूछे गगन से, क्यों गूँजे आवाज।
क्यों चलती हैं गोलियाँ, सभी काँपते आज।।
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पूछ रहे हैं धर्म वह, पूछ रहे पहचान।
ढूँढ-ढूँढकर हिन्द को, लेते उनकी जान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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