डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं – भावना के दोहे – आतंक)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 273 – साहित्य निकुंज ☆

☆ भावना के मुक्तक – आतंक ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆

साथ चले जो मार्ग में, उन पर किया प्रहार।

मानवता के वेश में, राक्षस छिपे हजार।।

*

पहलगाम की घाटियाँ,  क्यों मरते निर्दोष।

उत्तर उनसे पूछ लो, उनका क्या था दोष।।

*

शाहिद के आँसू बहे, क्या था उनका गुनाह।

नहीं तिरंगा अब झुके, सैनिक आए राह।।

*

घाटी पूछे गगन से, क्यों गूँजे आवाज।

क्यों चलती हैं गोलियाँ, सभी काँपते आज।।

*

पूछ रहे हैं धर्म वह, पूछ रहे पहचान।

ढूँढ-ढूँढकर हिन्द को, लेते उनकी जान।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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