सौ. सुजाता काळे
(सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी द्वारा प्रकृति के आँचल में लिखी हुई एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “तुममें और चाँद में क्या अलगता है ?”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कोहरे के आँचल से # 35 ☆
☆ तुममें और चाँद में क्या अलगता है ? ☆
छुप जाते हो तुम
जब जरूरत होती है,
बताओ, तुममें और चाँद में
क्या अलगता है ?
कभी पूनम बनकर आते हो,
कभी अमावस बन जाते हो।
बताओ, तुममें और चाँद में
क्या अलगता है ?
घटते चाँद की तरह
तुम भी घट जाते हो।
जब जी चाहा
तब तुम भी आगे चल
बढ़ते हो।
बताओ, तुममें और चाँद में
क्या अलगता है ?
आँखों से बारिश होती है
तुम बादल ही बन जाते हो।
तपिश मन में उबलती हो
तुम भाप बन उड़ जाते हो।
बताओ, तुममें और चाँद में
क्या अलगता है ?
© सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोबाईल 9975577684