श्रीमति विशाखा मुलमुले
(श्रीमती विशाखा मुलमुले जी हिंदी साहित्य की कविता, गीत एवं लघुकथा विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी रचनाएँ कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं/ई-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. आपकी कविताओं का पंजाबी एवं मराठी में भी अनुवाद हो चुका है। आज प्रस्तुत है एक सार्थक, सशक्त एवं भावपूर्ण रचना ‘पाठ ‘। आप प्रत्येक रविवार को श्रीमती विशाखा मुलमुले जी की रचनाएँ “साप्ताहिक स्तम्भ – विशाखा की नज़र से” में पढ़ सकते हैं । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 33– विशाखा की नज़र से ☆
☆ पाठ ☆
लेखन के क्रम में
शिक्षक ने मुझे
पहले अक्षर लिखना सिखाया
फिर बिना मात्रा वाले शब्द
बाद में मात्रा वाले शब्द
तदनन्तर वाक्य
तुम मेरे जीवन में
अक्षर की तरह आये
और मैं सीखती गई
प्रेम की भाखा
© विशाखा मुलमुले
पुणे, महाराष्ट्र