(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी की कोरोना योद्धाओं को समर्पित एक समसामयिक एवं सार्थक कविता “वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार”। श्री विवेक जी की लेखनी को इस अतिसुन्दर व्यंग्य के लिए नमन । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक साहित्य # 48 ☆
☆ कविता – वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार ☆
सादर है आभार तुम्हारा सादर है आभार
वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार
अपने घर तक जा ना पाते
कारों में कुछ रात बिताते
जगते सोते सेवा में हैं
हों नर्सेज या डाक्टर्स अपने
ईश्वर के अवतार
सादर है आभार तुम्हारा
सादर है आभार
सादर है आभार तुम्हारा सादर है आभार
वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार
स्वच्छ सड़क ये कौन है करता
कौन उठा कचरा ले जाता
पता न चलता शोर न मचता
कौन गंदगी से ना डरता
उसका है आभार
सादर है आभार
सादर है आभार तुम्हारा सादर है आभार
वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार
दानवीर ये कौन हैं जिनको
उस गरीब की फिकर लगी है
जो भूखे और दूर घरों से
हर उस भामाशाह का
सादर है सत्कार
सादर है आभार
सादर है आभार तुम्हारा सादर है आभार
वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार
हम तो घर में हुये सुरक्षित
किन्तु कौन जो जगे हुये हैं
पहुंचाने को बिजली पानी लगे हुये हैं
डाटा , आटा सब्जी राशन ,
उनका हो सत्कार
सादर है आभार
खुद घर से जो बाहर रहकर
सारे खतरे स्वयं झेलकर
सहकर के भी सबकी गाली
कर्तव्यों में जुटे हुये हैं
वर्दी में वे डटे हुये हैं
ऐसे पुलिस और प्रशासन
का होवे सत्कार
सादर है आभार
वीर करोना योद्धा तेरा सादर है आभार
सादर है आभार तुम्हारा सादर है आभार
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८