डॉ राकेश ‘ चक्र’
(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी की अब तक शताधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें 70 के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत। इनमें प्रमुख हैं ‘बाल साहित्य श्री सम्मान 2018′ (भारत सरकार के दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी बोर्ड, संस्कृति मंत्रालय द्वारा डेढ़ लाख के पुरस्कार सहित ) एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा ‘अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2019’। अब आप डॉ राकेश ‘चक्र’ जी का साहित्य प्रत्येक गुरुवार को उनके “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से आत्मसात कर सकेंगे । इस कड़ी में आज प्रस्तुत हैं आपकी एक समसामयिक रचना “देश के मजदूरों के नाम दोहे”.)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 27 ☆
☆ देश के मजदूरों के नाम दोहे ☆
कोरोना ने कर दिया, श्रमिकों को बेहाल।
शहर छोड़कर चल दिए, लिए हाथ में काल।।1
पाँव थके हैं,तन थका, पग में हो गए घाव।
पत्नी, बच्चे साथ में, देखे मौत पड़ाव।।2
नियति नटी के खेल से, हुए मार्ग सब बन्द।
कहीं मिले जयचंद हैं, कहीं प्रेम के छन्द।।3
रेल मार्ग से जो चले, करते पत्थर हास्य।
मानव का दुर्भाग्य है, लिखे स्वयं ही भाष्य।।4
भूख-प्यास से तन थका, सिर पर गठरी बोझ।
पटरी पर जब सो गए, मृत्यु कर रही भोज।।5
कभी गाँव, कभी शहर में, यही श्रमिक का चक्र।
जिस घर में हूँ मैं सुखी, करता उन पर फक्र।।6
कोई जाए ट्रेन में, कोई पग-पग डोर।
घर की राह न दीखती, रोज थकाए भोर।।7
साइकिल लेकर कुछ चले , कोई रिक्शा ठेल।
मौसम के दुख झेलकर, बना स्वयं ही मेल।।8
कोरोना सबसे लड़ा, करे मौत से संग।
बिन देखा भारी पड़ा, हुआ सबल भी दंग।।9
ईश्वर करना तुम कृपा, सकुशल पहुँचें गाँव।
खुली हवा में श्वास लें, मिले गाँव की छाँव।।10
देश चुनौती ले रहा, बढ़ी समस्या रोज।
समाधान है खोजता, मिले सभी को भोज।।11
डॉ राकेश चक्र
(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)
90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001
उ.प्र . 9456201857