डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 46 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
उथल-पुथल है हृदय में,
कर लो तुम संवाद।
जीवन हो तुम राधिके,
गूंजा अनहद नाद।।
जीवन में चारों तरफ,
फैला है अँधियार
बिना ज्ञान-दीपक भला,
कौन करे उजियार।।
इस अनंत संसार का,
कोई ओर न छोर
हरि सुमिरन से ही मिले,
मंगलकारी भोर
कोरोना के काल में,
बढ़ी पेट की आग।
सुनने वाला कौन है
भूख तृप्ति का राग।।
जीवन के नेपथ्य से,
कौन रहा है भाग।
करो आज का सामना,
छोड़ कपट खटराग।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
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