हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #7 ☆ फिर वही ☆ – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी लघुकथा “फिर वही”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #7 ☆
☆ फिर वही ☆
रात के १२ बजे थे. गाड़ी बस स्टैंड पर रुकी.
मेरे साथ वह भी बस से उतरा, ” मेडम ! आप को कहाँ जाना है ?”
यह सुन कर मुझे गुस्सा आ गया,”उन के पास” मैंने गुस्से में पुलिस वाले की तरफ इशारा कर दिया.
बस स्टैंड पर पुलिस वाला खड़ा था.
मैं उधर चली गई औए वह खिसक लिया.
फिर पुलिस वाले की मदद से मैं अपने रिश्तेदार के घर पहुँची.
जैसे ही दरवाजा खटखटाया, वैसे ही वह महाशय मेरे सामने थे, जिन्हें मैंने गुंडा समझ लिया था. उन्हें देख कर मेरी तो बोलती ही बंद हो गई.
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
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