सौ. सुजाता काळे
(सौ. सुजाता काळे जी मराठी एवं हिन्दी की काव्य एवं गद्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। वे महाराष्ट्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोहरे के आँचल – पंचगनी से ताल्लुक रखती हैं। उनके साहित्य में मानवीय संवेदनाओं के साथ प्रकृतिक सौन्दर्य की छवि स्पष्ट दिखाई देती है। आज प्रस्तुत है सौ. सुजाता काळे जी द्वारा प्रकृति के आँचल में लिखी हुई एक अतिसुन्दर भावप्रवण कविता “अमलतास ”। )
पीतांबर है या
पहनी अंशुमालाएँ?
या किरणों का
उत्सर्ग हुआ ।
गदराया है,
सोना पेड़ पर
या मौसम ही
सोने सा हुआ।
कोई कहे
जादु हुआ है,
या कोई कहे
यह गजब हुआ ।
© सुजाता काळे
पंचगनी, महाराष्ट्र, मोबाईल 9975577684