हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ स्मृतियाँ/MEMORIES – #8 – पगली गलियाँ ☆ – श्री आशीष कुमार
श्री आशीष कुमार
(युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे उनके स्थायी स्तम्भ “स्मृतियाँ/Memories”में उनकी स्मृतियाँ । आज के साप्ताहिक स्तम्भ में प्रस्तुत है एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति “पगली गलियाँ”।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ स्मृतियाँ/MEMORIES – #8 ☆
☆ पगली गलियाँ ☆
बचपन गुजर भी गया तो क्या हुआ ?
याद वो पगली गलियाँ अब भी आती हैं।
क्यों ना हो जाये फिर से वही पुराना धमाल
वही मौसम है, उत्साह है और वही साथी हैं।
कल जो काटा था पेड़ कारखाना बनाने के लिए
देखते हैं बेघर हुई चिड़िया अब कहाँ घर बनाती है|
गरीब जिसने एक टुकड़ा भी बाँट कर खाया
ईमानदारी उस के घर भूखे पेट सो जाती है |
बरसों से रोशन है शहीदों की चिता पर
सुना है इस जलते दिये में वो ही बाती है |
© आशीष कुमार