श्रीमती सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं, कविता /गीत का अपना संसार है। । साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य शृंखला में आज प्रस्तुत हैं उनकी एक अप्रतिम समसामयिक कविता “ जीवन है अनमोल धरोहर ……..”। वास्तव में जीवन अनमोल धरोहर है और उसे संभाल कर रखने के लिए सतर्कता की आवश्यकता है जिस सन्देश के लिए कविता प्रेरणा स्रोत है। इस सर्वोत्कृष्ट रचना के लिए श्रीमती सिद्धेश्वरी जी को हार्दिक बधाई।)
☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 49 ☆
☆ कविता – जीवन है अनमोल धरोहर …….. ☆
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
महामारी सा फैल गया
दुष्ट रक्त बीज कोरोना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
जड़ से इसे मिटाना है अब
भय से नहीं घबराना
स्वछता से रहना घर पर
स्वत नष्ट होगा कोरोना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
सात्विक भोजन बने घर पर
सब उसे प्रेम से खाना
भाव भक्ति में समय बिता
ज्ञान की किताबें पढ़ना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
सुबह-शाम दीपक उजियारा
धूप दीप सुगंधी लगाना
स्व स्वधा के पाठ से
निरोगी होगा भारत अपना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
बच्चे बूढ़ों का ध्यान रखें
प्यार से उनको समझाना
कुछ दिनों की बात है ये
सभी का होगा पूरा सपना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना
लगेगी फिर बागों में रौनक
शहनाई बजेगी अंगना
सावन की बूंदे लाएंगी
सुख-शांति का गहना
जीवन है अनमोल धरोहर
इसे संभाले रहना।
© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’
जबलपुर, मध्य प्रदेश
अच्छी रचना