डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं “भावना के दोहे”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 52 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
नव्य विधा है काव्य की, झरता है संगीत।
सरस काव्य की धार से, निकला है नवगीत।।
पछुवा की चलने लगी, तेज हवा तत्काल।
अपने अगन समेटती, वर्षा दृष्टि विशाल।।
सांझ सबेरे ढूंढ़ती, पनघट राधा श्याम।
आस लगाए टेरती, कहां छुपे घन श्याम।।
शिल्पकार गढ़ने लगे, कौशल शील विधान।।
होती उत्तम शिल्प की, प्रथक श्रेष्ठ पहचान।।
शिल्प साधना से लिखा, साहित्यिक इतिहास।
साध रहे रस छंद को, भाव और विन्यास।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
मोब 9278720311 ईमेल : [email protected]
सुंदर रचना
अति सुंदर प्रस्तुति….