डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं  एक भावप्रवण कविता  “जवाब। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 56 – साहित्य निकुंज ☆

☆ जवाब ☆

क्या आप जानते हैं

हमें मिलते नहीं

कुछ सवालों के जवाब

सदियां बीत जाती है

युगों युगों तक

ढूंढते रह जाते हैं जवाब

पीढ़ी दर पीढ़ी

बढ़ती चली जाती है

अपना रूप रंग परिवर्तन

होता जाता है

और सवाल

बन जाते हैं एक धरोहर

सवाल खो जाते हैं

किसी भीड़ के साए में

खामोशी ओढ़ लेते हैं

और यहां से वहां

कुछ सवालों के जवाब

रेत की तरह ढह जाते हैं

नदिया में बह जाते हैं

समंदर में मिल जाते हैं.

सब

अपने के बहाव में बहते रहते हैं

इन्हीं सारे सवालों

की गुत्थी पर खड़ा होता है

समाज

तब फिर नए सवालों का जन्म होता है

नित नित

युगों युगों तक

सवाल उपजते हैं

तब भी

नहीं मिलता है उनका जवाब .।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]
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Shyam Khaparde

सुंदर रचना

Dr Kamna tiwari shrivastava

बहुत बढ़िया