श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. 1982 से आप डाक विभाग में कार्यरत हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत है श्री राम भक्तिप्रेम से सराबोर भावप्रवण गीत “ अवध में बाज रही बधईया ….”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 48☆
☆ अवध में बाज रही बधईया …. ☆
(श्री संतोष नमन “संतोष” जी द्वारा राम मंदिर भूमि पूजन शिलान्यास के अवसर पर रचित भजन अवध में बाज रही बधईया को वरिष्ठ राष्ट्रीय भजन गायक श्री दुर्गेश ब्यवहार “दर्शन” जी ने अपना मधुर स्वर दिया है। आपके मधुर भजनों का प्रसारण संस्कार,आस्था,दिव्य आदि चैनलों पर होता रहता है. तो आइए सुनिए यह भजन इस यूट्यूब लिंक पर क्लिक कर >>>> अवध में बाज रही बधईया )
अवध में बाज रही बधईया
घर आ रहे राम रघुरईया
अवध में बाज रही बधईया
जन-जन खूब उमंग में झूमे
राम लला के द्वार को चूमे
मन में उठ रहीं बहुत लहरिया
अवध में बाज रही बधईया
पांच अगस्त को दिन है प्यारो
रामागार बन रहो न्यारो
खुश भईं कौशल्या मईया
अवध में बाज रही बधईया
वर्षों की आशा भई पूरी
काम आगई सबकी सबूरी
भक्त नाचते ता ता थईया
अवध में बाज रही बधईया
आशीष देवें राजा दशरथ
सफल हो गये उनके मनोरथ
दिल में खुशी समातई नइयां
अवध में बाज रही बधईया
झूम रही है अयोध्या नगरी
साज-सजावट हो गई सगरी
झिलमिल रोशन सगरी नगरिया
अवध में बाज रही बधईया
सरयू पुलकित होके पुकारे
धन्य धन्य हैं भाग्य हमारे
भर खुशियों से मन की घगरिया
अवध में बाज रही बधईया
“संतोष” बहुत दरश को प्यासो
मंदिर भव्य बन रओ अब खासो
प्रभु लेते हैं सबकी खबरिया
अवध में बाज रही बधईया
आज खुश होते चारों भइया
खुश हो रहीं हैं सीता मइया
अवध में बाज रही बधईया
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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