प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
( श्री गणेश चतुर्थी पर्व के शुभ अवसर पर प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी की श्री गणेश वंदना सिध्दिदायक गजवदन । हमारे प्रबुद्ध पाठक गण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 5 ☆
☆ सिध्दिदायक गजवदन ☆
जय गणेश गणाधिपति प्रभु
सिध्दिदायक गजवदन
विघ्ननाशक कष्टहारी हे परम आनन्दधन
दुखो से संतप्त अतिशय त्रस्त यह संसार है
धरा पर नित बढ़ रहा दुखदायियो का भार है
हर हृदय में वेदना आतंक का अंधियार है
उठ गया दुनिया से जैसे मन का ममता प्यार है
दीजिये सद्बुध्दि का वरदान हे करूणा अयन
जय गणेश गणाधिपति प्रभु
सिध्दिदायक गजवदन
आदि वन्द्य मनोज्ञ गणपति सिद्धिप्रद गिरिजा सुवन
पाद पंकज वंदना में नाथ
तव शत-शत नमन
व्यक्ति का हो शुद्ध मन
सदभाव नेह विकास हो
लक्ष्य निश्चित पंथ निश्कंटक आत्मप्रकाश हो
हर हृदय आनंद में हो
हर सदन में शांति हो
राष्ट्र को समृद्धि दो हर विश्वव्यापी भ्रांति को
सब जगह बंधुत्व विकसे
आपसी सम्मान हो
सिद्ध की अवधारणा हो
विश्व का कल्याण हो
जय गणेश गणाधिपति प्रभु
सिध्दिदायक गजवदन
© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
अतिसुंदर!