श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’
( श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि’ जी एक आदर्श शिक्षिका के साथ ही साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे गीत, नवगीत, कहानी, कविता, बालगीत, बाल कहानियाँ, हायकू, हास्य-व्यंग्य, बुन्देली गीत कविता, लोक गीत आदि की सशक्त हस्ताक्षर हैं। विभिन्न पुरस्कारों / सम्मानों से पुरस्कृत एवं अलंकृत हैं तथा आपकी रचनाएँ आकाशवाणी जबलपुर से प्रसारित होती रहती हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर रचना लिख देना । श्रीमती कृष्णा जी की लेखनी को इस अतिसुन्दर रचना के लिए नमन । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – कृष्णा साहित्य # 39 ☆
☆ सजल – लिख देना ☆
कलम से इस हथेली पर
समर्पण त्याग लिख देना
मिलने सेउस हवेली पर
मेरा पैगाम लिख देना।
गुजरे है कई दिन रात
हवाओं ने है समझाया
सूरज की धूप का कहर
उसने जी भर बरसाया
दी है चाँदनी ने दुआ
कोई न श्राप लिख देना ।
जिल्लतों की जी जिन्दगी
उफ भी नहीं किया हमने
गलत थे कभी भी ना हम
उठाए फिरे नाज नखरे
माला है आज ये मौके
दर्पण साफ लिख देना
निकल आया वहाँ से जो
कभी न जाना होगा अब
हवेली ने सताया है
गले गमों को लगाया है
मिला अब छुटकारा हमें
राम मनाया लिख देना ।
© श्रीमती कृष्णा राजपूत ‘भूमि ‘
अग्रवाल कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर -482002 मध्यप्रदेश
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈