आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है  मुक्तिका )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 17 ☆ 

☆ मुक्तिका  ☆ 

 

कहाँ गुमी गुड़धानी दे दो

किस्सोंवाली नानी दे दो

 

बासंती मस्ती थोड़ी सी

थोड़ी भंग भवानी दे दो

 

साथ नहीं जाएगा कुछ भी

कोई प्रेम निशानी दे दो

 

मोती मानुस चून आँख को

बिन माँगे ही पानी दे दो

 

मीरा की मुस्कान बन सके

बंसी-ध्वनि सी बानी दे दो

 

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

११-३-२०२०

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना