सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा

(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी  सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की  साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर  के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । हम आपकी रचनाओं को अपने पाठकों से साझा करते हुए अत्यंत गौरवान्वित अनुभव कर रहे हैं। सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में  एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी  एक भावप्रवण रचना “डाल और रिश्ते”। )

आप निम्न लिंक पर क्लिक कर सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी के यूट्यूब चैनल पर उनकी रचनाओं के संसार से रूबरू हो सकते हैं –

यूट्यूब लिंक >>>>   Neelam Saxena Chandra

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 48 ☆

☆ डाल और रिश्ते  

जब भी मेरे बगीचे में

तेज़ बारिश होती है

और आँधियाँ सायें सायें चलती हैं,

एक न एक जामुन के पेड़ की डाल

दरख़्त से टूटकर गिर ही जाती है

और उसे यूँ ज़मीन पर गिरा हुए देख,

न जाने क्यों आँखों से आंसू आ जाते हैं!

 

शायद यह डालियाँ

याद दिलाती हैं मुझे

उन टूटते रिश्तों की

जो ज़रा सी मुश्किलें आने पर

बिखरकर गिर जाते हैं…

यह एक विपदा आई,

और यह एक रिश्ता झड़ा…

यह दूसरी अड़चन आई,

और यह रिश्ता टूट गया…

 

क्यों टूटती हैं यह डालें इतनी आसानी से?

क्या यह कोई क़ुदरत का नियम है?

या फिर यह डालें खोखली हो गयी हैं?

या फिर इन दरख्तों की जड़ ही

अन्दर से कमज़ोर हो गयी है?

 

टूटने का कारण सोचने चली थी,

कि अचानक नज़र उस डाल पर फिर पड़ गयी,

जो क़ुदरत को लाचार नज़रों से देख रही थी-

कभी उससे हाथ जोड़कर याचना कर रही थी,

कभी उसकी सिसकती हुई आवाज़ सुनाई आ रही थी,

कभी वो चीख रही थी, कभी चिल्ला रही थी,

“ऐ क़ुदरत! मुझे एक बार फिर से मिला दो न

मेरे उस बड़े से दरख़्त से!”

 

मुझे पता था

क़ुदरत ख़ुद ही लाचार है-

पता नहीं उसे वो चीखें सुनाई भी दे रही थीं या नहीं,

पर मैं अबस सी भाग गयी घर के भीतर

कि नहीं देखी गयी मुझसे उस डाल की

बेचारगी और बेबसी!

 

© नीलम सक्सेना चंद्रा

आपकी सभी रचनाएँ सर्वाधिकार सुरक्षित हैं एवं बिनाअनुमति  के किसी भी माध्यम में प्रकाशन वर्जित है।

 

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments