श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(अग्रज एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी जीवन से जुड़ी घटनाओं और स्मृतियों को इतनी सहजता से लिख देते हैं कि ऐसा लगता ही नहीं है कि हम उनका साहित्य पढ़ रहे हैं। अपितु यह लगता है कि सब कुछ चलचित्र की भांति देख सुन रहे हैं। आप प्रत्येक बुधवार को श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’जी की रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज के साप्ताहिक स्तम्भ “तन्मय साहित्य ” में प्रस्तुत है आपकी एक कालजयी रचना अखबारों में छपी खबर है…..…. । )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – तन्मय साहित्य # 60 ☆
☆ अखबारों में छपी खबर है….. ☆
पढ़ने में आया है कि अब
नहीं किसी को कोई डर है
अखबारों में छपी खबर है।
भूखे कोई नहीं रहेंगे
खुशियों से दामन भर देंगे
करते रहो नमन हमको तुम
सारी विपदाएं हर लेंगे,
डोंडी पीट रहा है हाकिम
नगर – नगर है।
अखबारों में छपी खबर है।
पारदर्शी मौसम विज्ञानी
किस बादल में कितना पानी
अलादीन चालीस चोरों की
लोकतंत्र से जुड़ी कहानी,
घात लगाए राहों में
निर्मम अजगर है।
अखबारों में छपी खबर है।
बांध बनाए बिजली आई
खेतों में हो रही सिंचाई
खुश हैं साहूकार मन ही मन
जमकर होगी माल उगाही,
चिंता से कृषकों की अवगत
विकल नहर है।
अखबारों में छपी खबर है।
पूर्ण सुरक्षित कोमल कलियाँ
चौकस गाँव शहर घर गलियां
उदघोषित से शोर-शराबे
वन,उपवन में बैठे छलिया,
चौराहे बाजार भीड़ में
पग-पग डर है।
अखबारों में छपी खबर है।
इनमें-उनमें बैर नहीं है
मुख पृष्ठों पर लिखा यही है
इश्तहार कुछ और दिखाएं
पर सच जो वह छुपा नहीं है,
मौन जिन्हें रहना है वे ही
आज मुखर हैं
अखबारों में छपी खबर है।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश
मो. 9893266014
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
शानदार रचना