डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 59 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे ☆
कलम
कलम आज जो लिख रही,
जीवन का संग्राम।
दर्ज हुआ इतिहास में,
रणवीरों के नाम।।
यामा
यामा के संघर्ष को,
मिला अंततः न्याय।
चाहत ने अभिनव लिखा,
जीवन का अध्याय।।
आमंत्रण
आमंत्रण अनुराग का,
करते हैं स्वीकार।
हल्दी, कुमकुम में रचा,
बसा तुम्हारा प्यार।।
अनुराग
प्रियतम के प्रति चित्त में,
यह कैसा अनुराग।
प्रति दिन छल करता रहा,
किया नहीं पर त्याग।।
नलिनी
नलिनी जब खिलने लगी,
हर्षित हुए तड़ाग।
कल-कल कल झरना बहे,
मधुरिम गाता राग।।
अनुराग
कभी प्रेम की बांसुरी,
कभी सुरों का राग।
कभी पिया की रागिनी,
जीने का अनुराग ।।
तर्पण
है आमंत्रण काग को,
जगे काग के भाग।
पितरों को तर्पण करें,
बुला मुँडेर काग।।
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120, नोएडा (यू.पी )- 201307
क्या बात है …बढ़िया