सुश्री निशा नंदिनी भारतीय
(सुदूर उत्तर -पूर्व भारत की प्रख्यात लेखिका/कवियित्री सुश्री निशा नंदिनी जी के साप्ताहिक स्तम्भ – सामाजिक चेतना की अगली कड़ी में प्रस्तुत है एक गीत भगवद्गीता अति रमणम्।आप प्रत्येक सोमवार सुश्री निशा नंदिनी जी के साहित्य से रूबरू हो सकते हैं।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सामाजिक चेतना #64 ☆
☆ भगवद्गीता अति रमणम् ☆
मंदम् मंदम् अधरम् मंदम्
स्मित पराग सुवासित मंदम्।
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
विरचित व्यासा लिखिता गणेश:
अमृतवाणी अति मधुरम्।
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
मनसा सततम् स्मरणीयम्
वचसा सततम् वदनीयम्
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
अतीव सरला मधुर मंजुला
अमृतवाणी अति मधुरम्
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
विश्व वंदिता भगवद्गीता
नीति रीति भवतु साधकम्।
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
सगुणाकारम् अगुणाकारम्
भक्ति ज्ञान कर्म विज्ञानम्।
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
भजंति एते भजंतु देवम्
करतल फलमिव कुर्वाणम्
सरल सुबोधा ललिता रमणम्
भगवद्गीता अति रमणम्।
© निशा नंदिनी भारतीय
9435533394
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈