डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं परम आदरणीया माँ स्व डॉ गायत्री तिवारी जी  (27 दिसंबर 1947 – 8 सितम्बर 2015)को सस्नेह समर्पित एक भावप्रवण कविता  “तुम यहीं हो। ) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 61 – साहित्य निकुंज ☆

☆ तुम यहीं हो ☆

तुम मेरी यादों के

झरोखे में झाँकती

मुझे तुम निहारती

मै अतीत के उन पलों

में पहुंच जाती हूँ ।

 

तुम्हारा रोज मुझसे

बात करना,अपना

मन हल्का करना।

मैं खो जाती हूँ तुम्हारे

आँचल की छाँव में

जहां मिलता था

मुझे सुकून, मुझे चैन।

 

तुम्हारा प्यार, तुम्हारा

ममत्व अक्सर

ख्वाबों में भी आराम

देता है।

नींद में भी तुम्हारे

हाथों का स्पर्श

यकीन दिला जाता है कि

तुम हो मेरे ही आस पास।

 

मन में आज भी एक

प्रश्न चिन्ह उठता है

जिंदगी पूरी जिये

बिना तुम क्यों चली गई

और जाने कितने सवाल

छोड़ गई हम सब के लिए।

जो आज भी अनसुलझे है।

 

तुम गई नहीं हो

तुम हो

तिलिस्म के साए में

ऐसी माया है जिससे वशीभूत

होकर व्यक्ति उसके मोह जाल में

फँस जाता है।

माँ

हो मेरे आसपास

मेरे अस्तित्व को मिलता है अर्थ

नहीं है कुछ भी व्यर्थ।।

तुम मेरी यादों में ……

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

प्रतीक लॉरेल , C 904, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈
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