श्री श्याम खापर्डे 

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं । सेवारत साहित्यकारों के साथ अक्सर यही होता है, मन लिखने का होता है और कार्य का दबाव सर चढ़ कर बोलता है।  सेवानिवृत्ति के बाद ऐसा लगता हैऔर यह होना भी चाहिए । सेवा में रह कर जिन क्षणों का उपयोग  स्वयं एवं अपने परिवार के लिए नहीं कर पाए उन्हें जी भर कर सेवानिवृत्ति के बाद करना चाहिए। आखिर मैं भी तो वही कर रहा हूँ। आज से हम प्रत्येक सोमवार आपका साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी प्रारम्भ कर रहे हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण रचना कोरोना का कहर

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी #9 ☆ 

☆ कोरोना का कहर ☆ 

 

ये कैसा मंजर है

दिल में चुभता खंजर है

आंखें पथरा सी गई है

शरीर जैसे बंजर है

अस्पतालों में जगह नहीं है

बचने कीं कोई वजह नहीं है

दम तोड़ रहे मरीज अंदर

बाहर घर वालों को खबर नहीं है

श्मशानो की हालत बदतर है

जगह की भारी कमतर से

लाईन में लगीं है लाशें ही लाशें

श्मशान बन गया लाशों का घर है

अखबारों में छाया है कोरोना

आंकड़े देख आ रहा है रोना

कैसी महामारी आयी हुई हैं

मनुष्य बना,मौत के हाथ का खिलौना

अब तो संक्रमण तेजी

से बढ़ रहा है

निहत्था इन्सान बिना

टीका के लड़ रहा है

कहां जाकर रूकेगी

यह महामारी

कोरोना नित नए

किर्तीमान है गढ़ रहा है

कोरोना वालेंटियर्स

को सलाम

इतिहास में दर्ज होगा

उनका नाम

जान देकर दूसरे को बचाया

खुद रह गये वो गुमनाम

आओ मित्रों,

हम खुद को संभालें

प्रतिबंधों को

सख्तीसे पाले

जीवन है

बहुमुल्य हम सबका

सुरक्षित घर में रहकर

इसे बचाले

 

© श्याम खापर्डे 

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़)

मो  9425592588

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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