श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “दिल किसी का न वो दुखा सकते“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 63 ☆

✍ दिल किसी का न वो दुखा सकते… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

हो न जाये ख़ता से डरते हैं

हर न हरगिज़ सजा से डरते हैं

 *

लुट गये प्यार में हम ऐसे कुछ

भूत जैसा वफ़ा से डरते हैं

 *

अपनी दम पर चिराग जो जलते

वो हमेशा हवा से डरते हैं

 *

कौन सी आह आसमां तोड़े

हम हर इक बद्दुआ से डरते हैं

 *

और का पेट काट हो हासिल

ऐसे हम हर नफ़ा से डरते हैं

 *

हम दुआ माँ की ले चलें घर से

फिर न कोई बला से डरते हैं

 *

आदमी वो न खेलें खतरों से

जो हमेशा क़ज़ा से डरते हैं

 *

ढूढते दूसरों की जो कमियाँ

वो बशर आइना से डरते हैं

 *

दांत जिनके भी पेट में होते

इनकी हम मित्रता से डरते हैं

 *

दिल किसी का न वो दुखा सकते

जी भी अपने ख़ुदा से डरते हैं

 *

चाह हमको बड़ी है शुहरत की

फिर भी इसके नशा से डरते हैं

 *

ए अरुण नापते गिरेबां जो

ऐसे हम आशना से डरते हैं

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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