डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची ‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। उनके  “साप्ताहिक स्तम्भ  -साहित्य निकुंज”के  माध्यम से आप प्रत्येक शुक्रवार को डॉ भावना जी के साहित्य से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ. भावना शुक्ल जी  के अतिसुन्दर  “दोहे ”। 

 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – # 20 साहित्य निकुंज ☆

 

☆ दोहे

 

देख शरद की चाँदनी,

झूम उठा है चंद

पूनम के आगोश में,

हैं जीवन मकरंद।

 

देते हैं शुभकामना,

बाँट सको तुम प्यार।

जीवन में खुशियाँ सभी,

हर दिन हो त्यौहार।।

 

जो समझा सके मन को,

है चाबी वो खास।

पहुँच सकेगा  है वहीं,

होगा दिल के पास।।

 

मन से मालामाल वहीं,

जो दोषों से दूर।

जीवन में खुश है वहीं,

खुशियों से भरपूर।।

 

राजनीति का शोरगुल

छल छन्दी व्यवहार।

श्वेत कबूतर उड़ गए

अपने पंख पसार।।

 

रचती जाती पूतना ,

षड्यंत्री हर जाल ।

मनमोहन तो समझते,

उसकी हर इक चाल।।

 

महँगाई का दंश हम,

सहते हैं हर बार।

लुटते-लुटते लुट गए,

सबके ही घर बार।।

 

© डॉ.भावना शुक्ल

सहसंपादक…प्राची

wz/21 हरि सिंह पार्क, मुल्तान नगर, पश्चिम विहार (पूर्व ), नई दिल्ली –110056

मोब  9278720311 ईमेल : [email protected]

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