श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “भले इंसान का जीना है मुश्किल…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 69 ☆
भले इंसान का जीना है मुश्किल… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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मसर्रत का यहाँ सूखा रहा है
ग़मों का कब ये थमना सिलसिला है
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भले इंसान का जीना है मुश्किल
लफंगों को यहाँ पूरा मज़ा है
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नचाती ज़िन्दगी दिन रात सबको
किसी कठपुतली सा आदम हुआ है
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पकड़ ले हाथ तो फिर ये न छोड़े
क़ज़ा कब ज़िन्दगी सी बेवफ़ा है
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लगा इंसान मतलब साधने में
किसी का अब नहीं कोई सगा है
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गुनहगारों सियासत दाँ में यारी
नहीं डर तब कोई कानून का है
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ग़मों का साथ रहना उम्र भर फिर
मुहब्बत का मेरा ये तर्ज़ुबा है
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जिसे आया है हालातों से लड़ना
शज़र सहरा में भी फूला फला है
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अरुण जो बाद तेरे भी हो ज़िंदा
नहीं वो शेर तू अब तक कहा है
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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