श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “कामनाओं को यूँ विस्तार न दे“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 71 ☆

✍ कामनाओं को यूँ विस्तार न दे… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

नासमझ इतना ये संसार न दे

तिफ़्ल के हाथ में तलवार न दे

वक़्त पर पीठ दिखाए मुझको

दोस्त ऐसा कोई लाचार न दे

 *

दम घुटा दें ये तुम्हारा इक दिन

कामनाओं को यूँ विस्तार न दे

 *

हादसों का है सफ़र में खतरा

ज़ीस्त की रेल को रफ्तार न दे

 *

तुमसे उम्मीद गुलों की है मुझे

मेरे दामन में कभी ख़ार न दे

 *

सर फिरा दें जो अकड़ से मेरा

शुहरतों की तू वो भरमार न दे

 *

बोलियाँ ज़िस्म की लगती हों जहाँ

ऐसा धरती पे तू बाज़ार न दे

 *

मुँह मियाँ मिठ्ठू जो बनता अक्सर

इस कबीले को वो सरदार न दे

 *

जिसको अज़मत न वतन की प्यारी

देश को एक भी गद्दार न दे

 *

उसका दीदार नहीं हो पाता

एक सप्ताह में इतवार न दे

 *

सोच जिनकी है अक़ीदत खाई

कोई अंधा यूँ परस्तार न दे

 *

हो गई उम्र अब अरुण तेरी

घर की क्यों बेटे को दस्तार न दे

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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