श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “तेरी तक़रीर है झूठी तेरे वादे झूठे…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 82 ☆
तेरी तक़रीर है झूठी तेरे वादे झूठे… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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वक़्त का क्या है ये लम्हे नहीं आने वाले
मुड़के इक बार जरा देख तो जाने वाले
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हम बने लोहे के कागज़ के न समझ लेना
खाक़ हो जाएगें खुद हमको जलाने वाले
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बच्चे तक सिर पे कफ़न बाँध के घूमें इसके
जड़ से मिट जाए ये भारत को मिटाने वाले
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तुम वफ़ा का कभी अपनी भी तो मीज़ान करो
बेवफा होने का इल्ज़ाम लगाने वाले
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वोट को फिर से भिखारी से फिरोगे दर दर
सुन रिआया की लो सरकार चलाने वाले
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सामने कीजिये जाहिर या इशारों से बता
अपने जज़्बातों को दिल में ही दबाने वाले
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हम फरेबों में तेरे खूब पड़े हैं अब तक
बाज़ आ हमको महज़ ख़्वाब दिखाने वाले
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तेरी तक़रीर है झूठी तेरे वादे झूठे
शर्म खा अपने फ़क़त गाल बजाने वाले
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तेरे खाने के दिखाने के अलग दाँत रहे
ताड हमने लिया ओ हमको लड़ाने वाले
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पट्टिका में है अरुण नाम वज़ीरों का बस
याद आये न पसीने को बहाने वाले
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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