श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “इबादत सिखाता मुहब्बत की सबको…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 81 ☆
इबादत सिखाता मुहब्बत की सबको… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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जमीं रो रही आसमां रो रहा है
नहीं रहनुमा अम्न का दूसरा है
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बहे आदमी का लहू चार सू अब
ये इंसान को आज क्या हो गया है
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इबादत सिखाता मुहब्बत की सबको
वही आज मज़हब लड़ाने लगा है
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चले थाम औरों की बैशाखियाँ जो
कहाँ अपने पैरों पे होता खड़ा है
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जो औरों को खोदा है गढ्ढे हमेशा
ये तय आसमां भी उसी पर गिरा है
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तुम्हें राजदां मैं बना कब का लेता
फ़रेबों का रुकता नहीं सिलसिला है
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बड़ी कीमतों और महसूल से हम
मलें हाथ क्यों तुझको नेता चुना है
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बड़ी स्याह है ये सियासत की गलियाँ
चला इनमें जो उसका ईमां गिरा है
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अरुण इश्क़ में ज़ख्म पाकर भी ख़ुश हूँ
निशानी में उसने मुझे कुछ दिया है
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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