श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “हाथ मौला तेरे कितने हैं बता दे मुझको…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 85 ☆
हाथ मौला तेरे कितने हैं बता दे मुझको… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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ये सियासत में अजब मैंने तमाशा देखा
भेड़िया खाल में बकरे की है बैठा देखा
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हाथ मौला तेरे कितने हैं बता दे मुझको
मैंने खाली न किसी हाथ का क़ासा देखा
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रात कोई हो भले कितनी हो गहरी लेकिन
ढल ही जाती है यहाँ रोज सबेरा देखा
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आज़ज़ी के जो पहन के रखे हरदम जेवर
हर बशर उसके लिए मैंने दीवाना देखा
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बात मुँह देखी कोई करके भला बन जाये
सत्यवादी को तिरस्कार ही मिलता देखा
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दो कदम चल तू भले चलना हमेशा खुद ही
और कि दम पे जो चलता है वो गिरता देखा
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चाह मंज़िल की सनक जिसकी अरुण बन जाये
क़ामयाबी के वो आकाश को छूता देखा
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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