श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “ये आ गया है नया साल…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 89 ☆
ये आ गया है नया साल… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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ख़ुशी की जलती कहीं पे मशाल अब भी है
हमारे घर में खुशी का अकाल अब भी है।
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बदल गया है कलेंडर महज दीवारों पर
जो हाल पहले था वैसा ही हाल अब भी है
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ये आ गया है नया साल बस मिथक हमको
हमारी रोज़ी का वो ही सवाल अब भी है
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ये चौचले है रहीसों के जश्न मनते सब
श्रमिक के हाथ में देखो कुदाल अब भी है
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ये रोशनी से नहाए भवन है बेमानी
गरीब घर में जो मकड़ी का जाल अब भी है
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ये नाम अम्न के बारूद जो जमा रख्खा
विनाश करने उसका इस्तेमाल अब भी है
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किसी के गाल से चिकनी सड़क के दावे भर
सड़क पे चैन से चलना मुहाल अब भी है
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सबक न वक़्त से कुछ सीख ले के सीख सके
अरुण ये धर्म पे होता वबाल अब भी है
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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