श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “किस तरह की रोशनी है शहर में…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 90 ☆
किस तरह की रोशनी है शहर में… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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सबको अपनी ही पड़ी है शहर में
हाय दिल की मुफ़लिसी है शहर में
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रात पूनम सी कही पर तीरगी
किस तरह की रोशनी है शहर में
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बिल्डिंगों के साथ फैलीं झोपडीं
साथ दौलत के कमी है शहर में
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शानो-शौक़त का दिखावा बढ़ गया
सादगी बेहिस हुई है शहर में
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हर गली में एक मयखाना खुला
मयकशी ही मयकशी है शहर में
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जुत रहा दिन रात औसत आदमी
यूँ मशीनी ज़िंदगी है शहर में
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नाम पर तालीम के सब लुट रहे
फीस आफ़त हो रही है शहर में
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सभ्य वासी बन रहे पर सच यही
नाम की कब आज़ज़ी है शहर में
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है अरुण सुविधा मयस्सर सब मगर
कब फ़ज़ा इक गाँव सी है शहर में
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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