श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “कुंभ में डुबकी लगा के आ गए…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 93 ☆
कुंभ में डुबकी लगा के आ गए… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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मेरे हिस्से में ख़सारा रह गया
इश्क़ कर तन्हा का तन्हा रह गया
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ग़म कहाँ रोकर मैं अब हल्का करूँ
जब न मेरा तेरा शाना रह गया
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ख़्वाब क्यों आते मुझे है इस तरह
जो भी देखे हर अधूरा रह गया
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झोलियाँ भर भर के सबको दे रहे
मेरे घर ख़ुशियों का फ़ाक़ा रह गया
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जो ज़रूरी था वो लाया याद कर
माँ का चश्मा याद आना रह गया
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नाम पर इमदाद के कुछ तो मिला
हाथ में टूटा भरोसा रह गया
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ये सफेदी वक़्त लाया ज़ुल्फ़ में
दिल मगर बच्चा का बच्चा रह गया
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कुंभ में डुबकी लगा के आ गए
मन मगर मैला का मैला रह गया
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आँधियों से बुझ गया रोशन चिराग़
काम उसका पर अधूरा रह गया
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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