श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “रात दुख की अगर मुझे दी है…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 95 ☆
रात दुख की अगर मुझे दी है… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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पर दिए है उड़ान भी देना
मुझको शीरी ज़ुबान भी देना
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औरतें मर्द के बराबर जब
उड़ने को आसमान भी देना
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हों न सैयाद जालकार कोई
ऐसा मुझको जहान भी देना
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सात जन्मों का जिससे वादा है
जानने कुछ निशान भी देना
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हादसे की न दें खबर थाने
लोग डरते बयान भी देना
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रात दुख की अगर मुझे दी है
सुख भरी तू विहान भी देना
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हर कदम पर है ज़ीस्त में ख़तरे
हर कदम पर वितान भी देना
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ख़्वाहिशें बेशुमार जब दी है
भेदने को कमान भी देना
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मुझको तूने अगर अना दी है
ज़हन में स्वाभिमान भी देना
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अहलिया लिख नसीब में दी तो
साथ रहने मकान भी देना
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नेक वंदा अगर मैं हूँ तेरा
मुझको कोई अयान भी देना
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हिन्द सा जब दिया “अरुण” को चमन
नेक तू बागवान भी देना
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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