श्री अरुण कुमार दुबे

(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “भले जन्नत में तुम सी हूर हो पर“)

☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 96 ☆

✍ भले जन्नत में तुम सी हूर हो पर… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे 

कभी हमने ख़ुशी देखी नहीं है

कहीं ऐसी कमी देखी नहीं है

 *

गुज़रते रात दिन है तीरगी में

अभी तक रोशनी देखी नहीं है

 *

वो क्या समझे है दिल का मारना क्या

कि जिसने मुफ़लिसी देखी नहीं है

 *

उसे मजबूर पर आना न तरस

अगर जो बेबसी देखी नहीं है

 *

किसी विधवा सी लगती है वो उजड़ी

अगर सूखी नदी देखी नहीं है

 *

भले जन्नत में तुम सी हूर हो पर

जमीं पर रूपसी देखी नहीं है

 *

मगन हो कृष्ण में मीरा पिया विष

यूँ दूजी बंदगी देखी नहीं है

 *

अरुण फिरते हो दीवाने बने तुम

कभी यूँ आशिक़ी देखी नहीं है

© श्री अरुण कुमार दुबे

सम्पर्क : 5, सिविल लाइन्स सागर मध्य प्रदेश

सिरThanks मोबाइल : 9425172009 Email : arunkdubeynidhi@gmail. com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

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