हिन्दी साहित्य – साहित्य निकुंज # 25 ☆ कविता ☆ कराह ☆ – डॉ. भावना शुक्ल
डॉ भावना शुक्ल
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – # 25 साहित्य निकुंज ☆
☆ कराह ☆
क्यों तुमने उसे
अपना शिकार बनाया
क्यों तुमने उसे
गिद्ध चील की तरह
नोच – नोच के खाया।
क्या सोच कर उसे जलाया
तुमने उसकी नहीं सबकी
अंतरात्मा को जलाया।
वह देश की बेटी थी
मिलेगा उसे इंसाफ
नहीं करेंगे माफ
देश में मच रहा है हाहाकार
है तुम्हें धिक्कार
अपराधी तुम्हें फांसी
मिलते ही
तुम्हें मिल जायेगी मुक्ति
तब होगा न तुम्हें अपने
कर्मों का अहसास
तुम्हारी इज्जत सरे बाज़ार उतारे
बना दें तुम्हें नामर्द
तब शायद होगा तुम्हें
उस दर्द का अहसास
शायद
ये सजा करे कुछ असर
थम जाए बलात्कार।
निर्भया से प्रियंका तक
न जाने कितनों की चीखें
समाहित है इस धरा पर
चल रहा है सिलसिला
अभी तक नहीं हुआ है फैसला
जाने कब होगा इंसाफ….?
सुनो
अंतर्मन में
सुनाई दे रही
उनकी कराह
बस निकलती है आह…….
© डॉ.भावना शुक्ल
सहसंपादक…प्राची
wz/21 हरि सिंह पार्क, मुल्तान नगर, पश्चिम विहार (पूर्व ), नई दिल्ली –110056
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