हिन्दी साहित्य – हिन्दी कविता – ? मैं प्रेम चंद नहीं ? – डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’

डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ 

? मैं प्रेम चंद नहीं ?

(डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ पूर्व प्रोफेसर (हिन्दी) क्वाङ्ग्तोंग वैदेशिक अध्ययन विश्वविद्यालय, चीन)

 

सब्जी लेने क्यों जाना

तीन मील दूर मंडी तक

क्यों जाना

सवेरे-सवेरे

मिस्त्री,

मज़दूर खोजने

चौराहे पर

खपाने दिमाग

टुटपुँजिया गृहस्थी पर

जीना ही क्यों वह ज़िंदगी

जो तपाए जीवन भर

क्यों सुनना कोई दुःखद समाचार

किसी घटना के घटने का

क्यों हो मेरी नज़र में

किसी दुखियारी का दुःख

या नीलगायों के फ़सल चर लेने पर

आँगन  में पड़ी

उलटी सरावन -सी

किसान की लाश

मैं प्रेमचंद नहीं

जो दीये की रोशनी में

आँखें फोड़ूँ

एक उपयोगितावादी

साहित्यकार हूँ

फिर क्यों न किसी वातानुकूलित कक्ष में

बैठ कर

गढ़ूँ लल्लनटॉप पटकथाएं

या फिर

गूगल पर खोजूँ कोई उपयोगी चरित्र

और लिखूँ

किसी ऐसे नेता की वैसी जीवनी

जिस पर मिल सके

भारत रत्न

पद्मश्री, पद्म भूषण

और कुछ नहीं तो

साहित्य अकादमी,

ज्ञान पीठ या व्यास सम्मान।

 

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