☆ एक अनोखे व्यक्तित्व की स्वामिनी… ☆

(आज का अंक  ई – अभिव्यक्ति परिवार के परम आदरणीय सदस्य वरिष्ठ साहित्यकार एवं हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी एवं उर्दू के विद्वान अग्रज कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी की परम पूज्यनीय माता जी स्वर्गीय  दुर्गा सिंह पत्नी स्व० डा० शिवमूरत सिंह जी निवासिनी ग्राम व पोस्ट कैथी वाराणसी को समर्पित है।) 

आज हमारे बीच नहीं रही वह मातृत्व सत्ता जो हमें हर बार मिलने पर ममतामयी स्नेह के बंधन में बांधती नजर आती थी।

जिनके हृदय में दुखी तथा पीड़ित जनों के लिए अपार स्नेह, सेवा भाव, तथा अपने दरवाजे पर हर आगंतुकों के लिए आतिथ्य धर्म का निर्वहन ही जिनकी दैनिक दिनचर्या का अंग थी।

उम्रदराज होने पर भी उमंग तथा उत्साह की प्रतिमूर्ति थी, जिनके भीतर नेतृत्व क्षमता कूट-कूट कर भरी थी दुबले-पतले शरीर पर  भी उम्र का प्रभाव अथवा आलस्य का नामोनिशान नहीं, समय के प्रति पाबंदी, सब मिलाकर एक ऐसी शख्सियत की संरचना जो लोगों को संम्मोहित कर देती थी।

उनका हम लोगों के बीच से अचानक चले जाना जहां हम सभी को अचंभित कर गया, वहीं परिवार जनों  को हतप्रभ, तथा स्तब्ध कर देने वाला रहा, हम जब कभी  भी उस राह से गुजरेंगे तब  कदाचित हमारे नेत्र उन्हें अवश्य ढूंढेंगे।

वे हमारी स्मृति पर हमेशा विराजमान रहेंगी, जाते जाते वे  अपने पीछे एक भरा पूरा परिवार छोड़ गई है जिसमें पुत्र नवीन सिंह,आईएफएस,  पुत्र कैप्टन प्रवीण सिंह रघुवंशी, NM, भारतीय नौसेना तथा पुत्रियाँ पुत्र वधुएं समेत परिवार जनों की लंबी श्रृंखला जो उनके सुखी पारिवारिक जीवन की कहानी कहती हैं।  आपने गीता तथा रामायण के भाष्य को अपने दैनिक आचरण में जिया था।

हम ऐसे व्यक्तित्व की स्वामिनी दुर्गा मइया को शत् शत् नमन अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से कामना करते  कि पंचतत्व में विलीन मरणधर्मा पुण्य शरीरा  की  मृतक आत्मा को शांति प्रदान करें तथा परिवार जनों को दुख सहने की असीम शक्ति दे।।।

सादर नमन। अश्रुपूर्ण  विनम्र श्रद्धांजलि ।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः !!

 

श्री सूबेदार पाण्डेय, वाराणसी,   हेमन्त बावनकर, पुणे एवं समस्त ई -अभिव्यक्ति साहित्यिक  परिवार

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बेहतरीन अनुवाद एक सुंदर कविता का

दिवंगत आत्मा, माँ दुर्गा सिंह, जिन्होंने सिंहनी की तरह जीवन को किया।
मेरी सादर श्रद्धांजलि

विजय कुमार मल्होत्रा

ऐसी विलक्षण मातृशक्ति को अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि !!!