सुश्री ऋतु गुप्ता

 

(प्रस्तुत है सुश्री ऋतु गुप्ता जी की एक ऐसे पहलू को उजागर करती  है जिस से प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी रूप से ठगा जाता है। हम अक्सर टूरिस्ट प्लेस पर बस या ट्रैन से जाते हैं तो वहां की प्रसिद्ध वस्तुएं लेने के मोह से नहीं बच पाते। फिर अक्सर घर आकर ठगे महसूस करते हैं क्योंकि वही वस्तु उनके शहर में आसानी से मिल जाती है। स्थानीय लोगों में कुछ बेईमान लोग ऐसे ठगी करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम रहता है कि यह यात्री वापिस शायद ही आएगा। साथ ही उनसे हमारे देश की छवि विदेशी यात्रियों के माध्यम से ख़राब होती है सो अलग। कोई इस पर संज्ञान क्यों नहीं लेता ? एक  विचारणीय लघुकथा।)

 

☆ लघुकथा – केसर ☆

 

“बाबूजी, केसर ले लो! बौनी का टाईम है, बिल्कुल जायज भाव लगाऊंगा”। वह बोले जा रहा था व प्रकाश चुपचाप सुने जा रहा था। प्रकाश अपने परिवार के साथ कुल्लू मनाली घुमने आया था। वह केसर की एक छोटी सी डिबिया 600 रूपये की बताते-बताते 200 रूपये पर आ गया। जितनी बड़ी डिबिया उसके शहर में 500 रूपये से कम की नहीं मिलती वह यहाँ सिर्फ़ 200 रूपये में मिल रही थी। लालच किसको नहीं होता, लेकिन मन में कहीं शक हुआ कि नकली तो नहीं है, केसर बेचने वाले ने झठ से एक डिबिया निकाल थोड़ी सी केसर ले अपने हाथ पर उल्टी तरफ रगड़ी और हाथ सीधा कर सूंघने को बोला हाथ महक रहा था। अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी। प्रकाश की पत्नी तो पीछे ही पड़ गई और 2000 रूपये का केसर ऐसे ही केसर बेचने वाले से 3-4 लोगों ने खरीद लिया।

घर पहुंच कर जब केसर को दूध में डालने के लिए डिबिया खोली तो महक तो खूब थी पर सिर्फ़ आर्टिफिशियल महक थी। यह क्या केसर घुलते ही लाल हो गई। तब उनका माथा ठनका कि केसर तो नकली थी। उनको लगा कि उनके साथ तो ठगी हो गई। हर टूरिस्ट प्लेस पर वहाँ की कोई स्पेशल वस्तु बेचकर या तो नाजायज दामों की वसूली ही करते हैं या फिर नकली चीज ही पेल देते हैं। विदेशी टूरिस्ट के साथ तो उनका रवैया और भी बुरा होता है, मुँह माँगे दाम वसूलते हैं। और यहाँ तो असंख्य की तादाद में बिल्कुल एक तरह की केसर बेचने वाले घूम रहे थे। प्रकाश सोचने पर मजबूर था कि यह लोग पकड़े क्यूँ नहीं जाते? लोग जो घूमकर आते हैं वे इसके खिलाफ बोलते क्यूँ नहीं ? शायद इसलिए कि उनकी रोजी रोटी छीनी जाएगी? पर उन लोगों को भी तो सोचना चाहिए कि महँगे दाम चाहें वसूल ले पर नकली माल तो न बेचें। खाने-पीने की वस्तुएं तो नुकसान भी कर सकती हैं। फिर उसने फैसला कर लिया कि वह आपबीती जरूर किसी न्यूजपेपर में छपवायेगा। हो सकता है, इस बात का उन पर कुछ असर दिखे आइन्दा ऐसा करने से पहले कुछ सोचने पर विवश हो जायें।

 

© ऋतु गुप्ता, दिल्ली

 

image_print
0 0 votes
Article Rating

Please share your Post !

Shares
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Oldest
Newest Most Voted
Inline Feedbacks
View all comments