हिन्दी साहित्य ☆ कविता ☆ आइना ☆ श्री प्रयास जोशी
श्री प्रयास जोशी
(श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं। आपको वरिष्ठ साहित्यकार के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है।
☆ कविता – आइना ☆
कविता के जुलूस में
कवि ने पढा़ –
अंधेरे !
अगर वाकई तू
इतना ही सच्चा होता
तो क्या आइनों को
तोड़ कर
इस तरह भागता ?
–सूरत
छिपा कर हंसता
—बोलने से बचता
इस तरह खुश मत हो
अपनी ही घड़ी को
तोड़ कर
क्योंकि समय को
तोड़ने -फोड़ने के
फालतू अहंकार में
यह भी भूल गया तू
कि आइने के
जितने भी टुकड़े करेगा
उतने ही टुकड़ों में
चमकेगा
सूरज!
© श्री प्रयास जोशी
भोपाल, मध्य प्रदेश