डॉ अ कीर्तिवर्धन

 ☆ गणतंत्र दिवस विशेष – सैनिक को हर पल नमन करते हैं ☆ डॉ अ कीर्तिवर्धन ☆

सीमा पर खड़ा है, नींद अपनी गंवाकर,

सुरक्षा मे देश की, निज परिवार भुलाकर,

बल की है शान, कर्तव्य की बातें,

देखता है हर पल, जो शांति के सपने,

सैनिक को हर पल नमन करते हैं।

 

चट्टानों को काटकर, जो नहरें बना देता है,

बाढ़ और सूखे मे, सहायता हेतु आता है,

मृत्यु के मुख से भी, जीवन छीन लाता है,

सीमा पर प्रहरी, सुरक्षा बल कहलाता है,

सैनिक को हम नमन करते हैं।

 

धार्मिक उन्माद मे, इंसान बनकर आता है,

असत्य पर सत्य की, विजय गाथा गाता है,

जाति-धर्म, छुआ छूत के, सारे बंधन तोड़कर,

राष्ट्र धर्म जिसके लिए, सर्वोपरि बन जाता है,

सैनिक को हम नमन करते हैं।

 

दुश्मन के वार को,तार तार करता है,

देश की सुरक्षा मे, जीवन वार देता है,

माता को जिसकी, अपने लाल पर गर्व है,

भारत का जन-जन, जिसे प्यार करता है,

सैनिक को हम नमन करते हैं।

 

राणा सा शौर्य जिसकी, शिराओं मे दौड़ता है,

पाक के नापाक इरादे, बूटों तले रौंदता है,

हिमालय भी जिसकी, विजय गाथा गता है,

सम्मान मे जिसके, राष्ट्र ध्वज झुक जाता है,

सैनिक को हम नमन करते हैं।

 

सीमा के सैनिक का, आओ हम सम्मान करें,

सुरक्षा मे परिवार की, हाथ सब तान दें,

बल प्रहरी की पत्नी को, सैनिक सा मान दें,

मात पिता को सैनिक के, हम सब प्रणाम करें,

सैनिक को हम सब हर पल नमन करें।

 

© डॉ अ कीर्तिवर्धन

संपर्क – विद्यालक्ष्मी निकेतन, 53 -महालक्ष्मी एन्क्लेव, मुज़फ्फरनगर -251001 ( उत्तर प्रदेश )

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≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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Shyam Khaparde

अच्छी रचना