हिन्दी साहित्य ☆ कविता ☆ सिद्ध ☆ श्री प्रयास जोशी

श्री प्रयास जोशी

(श्री प्रयास जोशी जी भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स  लिमिटेड भोपाल से सेवानिवृत्त हैं।  आपको वरिष्ठ साहित्यकार  के अतिरिक्त भेल हिंदी साहित्य परिषद्, भोपाल  के संस्थापक सदस्य के रूप में जाना जाता है। 

☆ कविता  –  सिद्ध ☆

स्वयं सिध्द

और सील-ठप्पे लगे

सरकारी कागजों को

फिर दुबारा सिध्द करने की

फालतू जिद में

कितना समय लगता है

देश को ?

–यह स्वयंसिद्ध है

और

सही बात तुम्हें सरकार

और उसके नुमाइंदों से ही

मिलकर पूछना चाहिए..

लेकिन मेरे मिलने से पहले ही

माफिया मिल लेते हैं

इसलिये मैं,

अपने आप को

यह सिध्द नहीं कर पाता

कि मैं भी आदमी हूँ

क्योंकि

मेरा मानना है कि

हर आदमी के अंदर

सही दिल-दिमाग का एक

ईमानदार

आदमी रहता है।

लेकिन मेरी इस बात को कोई

मानने को तैयार ही नहीं …

—तुम्हारी असल दिक्कत

तुम्हारी ईमानदारी और

तुम्हारी कल्पनाओं का यह

सुंदर आदमी ही है, गोपाल!

जो तुम्हें सिध्द नहीं होने देता

और हर बार तुम

आदमी होने से छूट जाते हो।

 

©  श्री प्रयास जोशी

भोपाल, मध्य प्रदेश