डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’
(डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’ पूर्व प्रोफेसर (हिन्दी) क्वाङ्ग्तोंग वैदेशिक अध्ययन विश्वविद्यालय, चीन । वर्तमान में संरक्षक ‘दजेयोर्ग अंतर्राष्ट्रीय भाषा सं स्थान’, सूरत. अपने मस्तमौला स्वभाव एवं बेबाक अभिव्यक्ति के लिए प्रसिद्ध। आज प्रस्तुत है डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर ‘ जी की कविता “होली ” और उनके मित्र श्री आर डी वैष्णव जी के मधुर स्वर में काव्य पाठ। )
सस्वर काव्य -पाठ का ई-अभिव्यक्ति ने प्रयोग स्वरुप एक प्रयास प्रारम्भ किया है। प्रबुद्ध पाठकों के ह्रदय से स्नेह एवं प्रतिसाद के लिए आभार।
आपसे विनम्र अनुरोध है कि कृपया श्री आर डी वैष्णव जी के चित्र पर या यूट्यूब लिंक पर क्लिक कर उनका सुमधुर काव्य पाठ अवश्य आत्मसात करें।
श्री आर डी वैष्णव, जोधपुर, राजस्थान
यूट्यूब लिंक >>>> https://youtu.be/XdTDyW9J88k
☆ होली पर्व पर विशेष – होली ☆
बन्द करके कीचड़ी व्यापार होली में
खेल लें कुछ रंग अबकी बार होली में
हर सियासी रंग पे जो रंग चढ़ जाए
बस रंग झोली में वही हो यार होली में
राधिका की लाठियों की मार भी मीठी
खानी हमें है प्यार वाली मार होली में
चढ़ गईँ नफ़रत की बेलें हैं बहुत लंबी
हो सके तो काट देना झाड़ होली में
नाव जो मझधार र्में है डूब जाएगी
थामे नहीं गँवार कोई पतवार होली में
फूल सहमे पत्तियों में छिप के बैठे हैं
हो न जाएँ डालियाँ खूँख्वार होली में
वास्तु के हैं या असल के साँप ही तो हैं
साफ़ करना ध्यान से घर बार होली में
© डॉ गंगाप्रसाद शर्मा ‘गुणशेखर’
सूरत, गुजरात