हिन्दी साहित्य – ☆ कविता ☆ महानवरात्रि विशेष – सुनो स्त्रियों ☆ – सुश्री निर्देश निधि

महानवरात्रि विशेष 

सुश्री निर्देश निधि

 

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आज प्रस्तुत हैं महानवरात्रि पर उनकी विशेष कविता “सुनो स्त्रियों”.)

 

(इस कविता का अंग्रेजी भावानुवाद आज के ही अंक में  ☆ Listen ladies ☆ शीर्षक से प्रकाशित किया गया है. इसअतिसुन्दर भावानुवाद के  लिए हम  कॅप्टन प्रवीण रघुवंशी जी के ह्रदय से आभारी हैं. )  

 

☆ सुनो स्त्रियों ☆

 

आज महालया* का शुभ दिन है

और आज तुम्हारे नयन सँवारे जाने हैं

 

तुम्हें कह दिया गया था

सभ्यताओं के आरम्भिक दौर में ही

यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमन्ते तंत्र देवता

 

तुम मान ली गईं वह देवी

जिसके सकल अँगों को ढाल दिया गया था

उनके सुन्दरतम रूप में

 

बस छोड़ दिये गये थे नयन शेष

वे नयन जो देख सकते थे

तुम पर किसी की दृष्टि का स्याह – सफेद रंग

 

दिखा सकते थे तुम्हें मार्ग के गड्ढे

तुम्हारा भला बुरा भी,

और क्यों ना दिखाते भला

तुम्हारे गन्तव्य से भिड़ने के अभ्यस्त विशाल पत्थर भी

संवर कर कदाचित तुम्हें कर सकते थे निरापद

 

तुम्हारे बिन बने नयनों के लिए

सहस्त्रों बरस लम्बा पितृपक्ष

समझो आज खत्म हुआ

 

आज महालया का शुभ दिन है

और आज ही तुम्हारे नयन संवारे जाने हैं

ताकि तुम देख सको वह सब

जो तुम्हारे हित में था, सदियों से

 

जिन गड्ढों में तुम बार – बार गिरीं

बिना आंख की होकर

चल सको उनसे बच कर

 

और वे सदियों से अभ्यस्त

विशाल पत्थर भी कभी

भिड़ न सकें तुम्हारे गंतव्य की शहतीरों से

 

आज महालया का शुभ दिन है और

आज तुम्हारे नयन सँवारे जाने हैं

 

©  निर्देश निधि, बुलंदशहर

 

* महालया – दुर्गा पूजा में स्थापित करने के लिए कलाकार देवी की मूर्ति पूर्ण कर लेता है, बस आँख छोड़ देता है। पितृ पक्ष के बाद महालया में देवी की आंख बनाई जाती है, अब देवी पूर्ण होकर पंडालों या घरों में स्थापित हो जाती हैं.

 

संपर्क – निर्देश निधि, विद्या भवन, कचहरी रोड, बुलंदशहर, (उप्र ) पिन – 203001

ईमेल – [email protected]