सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
( हम आभारीसुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी के जिन्होंने ई- अभिव्यक्ति में अपना” साप्ताहिक स्तम्भ – दीपिका साहित्य” प्रारम्भ करने का हमारा आगरा स्वीकार किया। आप मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं में भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर प्रेरणास्पद कविता हौसले । आप प्रत्येक रविवार को सुश्री दीपिका जी का साहित्य पढ़ सकेंगे।
☆ दीपिका साहित्य #6 ☆ हौसले ☆
तेरी लहरों पे चढ़ के जाएंगे,
ऐ समंदर हम तो भव सागर भी पार कर जाएंगे,
हौसले किये है हमने अब बुलंद,
अब अंधेरो में भी हम जुगनू जलाएंगे,
आएंगे दौर मुसीबतो के,
फिर भी हम आगे बढ़ाते जाएंगे,
अकेले ही चल पडेंगे हम,
कारवां तो अपने आप बनते जाएंगे,
अपनी मंज़िल वो ही पाते है जो खुद पे विश्वास दिखाते हैं
इसको हम अपना उद्देश्य बनाएंगे ,
तेरे मेरे के चक्कर में पड़े है सब,
हम सबको आरम्भ कर दिखाएंगे,
सीख लिया है हमने सफल जीवन का रहस्य,
अब इस रोशनी को हम सब में जगमगाएंगे,
तेरी लहरों पे चढ़ के जाएंगे,
ऐ समंदर हम तो भव सागर भी पार कर जाएंगे
© सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान ”
पुणे, महाराष्ट्र
Nice Muskan ji,
Very inspirational as usual… Keep it up..
We always waits for your articles..
Regards.
Thank you for wishes! Its dedicated on the occasion of “Youth Day ” !
Nice
Keep it up?